पुस्तक-मित्र

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पुस्तक मित्र बाल कहानी संग्रह की पाण्डुलिपि मेरे सामने है। इसमें नौ बाल कहानियाँ हैं, एक सुंदर आँकड़ा है। सभी कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे यकीन हुआ कि विनीता को वास्तव में बालमन की सच्ची पकड़ है तथा वे प्राणपण से बच्चों को संस्कारित करना चाहती है। खुशियाँ बाँटो कहानी में बच्चे छुट्टियों में समय का सदुपयोग करने नजदीक के अनाथालय के बच्चों के साथ खेलते-कूदते हैं तथा अपने-अपने घर से पुस्तकें लाकर उनके साथ पढ़ते हैं। 
आतिशबाजी कहानी में एक पिता दीपावली के दिन अपने बच्चे को गरीब बस्ती में ले जाकर वहाँ के बच्चों  को मिठाइयाँ बाँटते हैं तो उनका बेटा भी हर दीपावली को ऐसा ही करने का निश्चय करता है। गणेश जी की झाँकी कहानी जरूरतमन्द की मदद करने की प्रेरणा देती है। पहले स्वयं को सुधारो कहानी बताती है कि एक-एक व्यक्ति से देश बनता है। हर व्यक्ति घर, पास-पडौस को कचरे, गन्दगी से मुक्त कर ले तो स्वच्छ भारत की कल्पना साकार हो सकती है। पुस्तक मित्र में लम्बी छुट्टियों में बच्चे एकदूसरे के घर से पुस्तकें लाकर बाल पुस्तकालय ही बना लेते हैं। ऐसा करवाने में बहुत से बच्चों की माताएँ जिस तरह से सहयोगी बनती हैं वह अनुकरणीय है। "बैलगाड़ी की सवारी" एक मार्मिक कहानी है। जानवरों से प्रेम करने तथा उन्हें तंग न करने की सीख देती है। यह कहानी। " मोबाईल ने चोर पकड़वाया" कहानी में मोबाईल आदि की नयी तकनीकें तथा मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय पढ़ाई पर ध्यान देने की एक उम्दा सीख बच्चों को देती है। "हर्बल होली" वृक्षों को न काटो व उनका महत्व समझाती है। 
"पॉलीथिन से मुक्ति" कहानी में पॉलीथिन के उपयोग से होने वाली तमाम हानियों को बताया है और बच्चे पॉलीथिन से मुक्ति का उपाय अपनी शाला से ही प्रारम्भ करते हैं। सच में आज यह ज्वलन्त समस्या है। हर शाला में पढ़ने वाले बच्चे भी ऐसा ही संकल्प करेंगे तो हम पॉलीथिन से निश्चित ही मुक्त होंगे। 
बाल साहित्य बच्चों को दिशा एवम् संस्कार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे सदाचारी बने, देशप्रेमी बने और वर्तमान समस्याओं को समझे, उनके हल खोजें तो वे कुशल नागरिक बन सकते हैं। डॉ विनीता राहुरीकर ने सच्चे बाल साहित्यकार के उत्तरदायित्व को समझते हुए ऐसे विषयों को लेकर कहानियाँ लिखी हैं जो बच्चों का ज्ञानवर्धन, मनोरंजन के साथ ही सकारात्मक सोच की ओर भी प्रेरित करती है। अधिकांश कहानियों में बच्चे ही पात्र होते हैं तथा उनके क्रियाकलापों से कहानी उद्देश्य तक पहुँचती है। लेकिन विनीता की कई कहानियों में बच्चों के अभिभावक बच्चों के साथ को नई दिशा देते हुए अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं। 
बाल्यावस्था को जीवन निर्माण के लिए उपयोगी माना गया है। अच्छी कहानियाँ पढ़कर बच्चों में अच्छे गुणों का संचार होता है। बच्चे सुपथगामी बनते हैं। डॉ विनीता का यह बाल कहानी संग्रह बच्चों को पसन्द आएगा। ऐसा मेरा विश्वास है। 

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